क्या महानता सिर्फ एक भ्रम है?

मैं अक़्सर सोचता हूँ कि क्या कोई व्यक्ति केवल अपने अच्छे कर्मों के आधार पर महान बन सकता है? और हमेशा गहराई में जाकर पाता हूँ कि बिल्कुल नहीं, केवल कर्मों के आधार पर महान नहीं बना जा सकता। महान बनने के लिए एक पूरी मशीनरी, एक पूरी योजना और बहुत बड़ा जनसमर्थन चाहिए होता […]

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बैक्टीरिया अच्छे भी होते हैं

कई सालों तक हम बैक्टीरिया को अपना शत्रु समझते रहे लेकिन जैसे जैसे रिसर्च होती गई पता चलता गया कि हमारे शरीर मे मौजूद बैक्टीरिया हमारे मित्र होते हैं। ऐसे मित्र जो हमारा जीवन है और जिनके बिना हमारा जीवन मुश्किल है। यह हमारी आंतों में होते हैं और इनकी तादाद हमारी शरीर की कुल […]

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मां-बाप लाडला बच्चा किसे और क्यों मानते हैं?

बच्चों में मां बाप के कोई ज्यादा लाडला होता है तो कोई कम। ऐसा क्यों होता है। आखिर क्या वजह है माँ बाप के लाडले बनने के पीछे? आदिमविकास के दौरान पुरुषों का काम भोजन का इंतजाम करना शिकार आदि के द्वारा जो बाद में कृषि करके होने लगा इसके अलावा परिवार की शिकारी जानवरों […]

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वे ज़िद और नख़रे ना कर सकने वाले बच्चे

हम सभी बचपन में रूठते थे, नख़रे करते थे, बहुत एहसान जताते हुए अपनी ज़िद पूरी करवाते थे। हम सभी के बचपन में यह आम था चाहे आपका बचपन मेरी ही तरह गरीब क्यों न था। हमारे बचपन की ज़िद और नख़रे हमारे अमीर गरीब होने पर निर्भर नहीं करते वे निर्भर करते हैं हमारे […]

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धरती के बढ़ते तापमान का सेहत पर असर

वह बसंत की एक दोपहर थी। मेरे अपॉइंटमेंट स्लॉट में आखरी जो रोगी थे वे दूर गांव के एक बुजुर्ग कैंसर रोगी थे। परामर्श लेने के बाद केबिन से जाते समय उनके बेटे ने उनसे कहा कि, “बाबा अभी ट्रैन में वक़्त है इसलिए चलो मैं आपको भोपाल घुमा देता हूँ, काफ़ी खूबसूरत और विकसित […]

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काम को थोड़ा ब्रेक देकर लीजिए प्रकृति की शरण

रोज़ाना की दौड़ती भागती ज़िन्दगी। ऑफिस से घर, घर से ऑफिस, दुकान से घर, घर से दुकान….. ओफ्फोह क्या यही जीवन है? अगर यही है तो फिर बोर होना लाज़मी है, लाज़मी है आपका दुःखी रहना, लाज़मी है आपका डिप्रेस हो जाना। थोड़ा सा रोज़ाना या हफ़्ते में अपने लिए वक़्त निकालिये। अपने घर के […]

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केवल सकारात्मक सोच भी घातक है

आप एक कार चला रहे हैं। आप उसे तेज़ (100 से 120 की स्पीड में) चलाना चाहते हैं एक चिकने और बेहतरीन हाईवे पर। इस चाल तक आप आसानी से और सुरक्षित कार चला सकें इसके लिए आपके लिए सबसे ज़रूरी चीज़ क्या है? एक्सीलरेटर या ब्रेक? आप रुकिए और थोडासा ध्यान लगाकर सोचिए। क्या […]

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टीचर्स_डे हम डॉक्टरों के लिए

हम डॉ के लिए तो सबसे बड़ा गुरू मरीज़ ही होता है, वही हमे बताता है कि कैसे बात करना है, कब हँसना है, कब चुप रहना है, कब केवल सुनना है, कब सांत्वना देना है…आदि जब हम डॉक्टरी पढ़ते हैं तो सोचते हैं कि हम अपने रोगी को यह समझायेंगे वो समझायेंगे, ऐसे समझाएंगे […]

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हम क्यों डरते हैं?

कड़कड़ाती बिजली की आवाज़ हो, शेर की दहाड़ हो, सामने से कोई तेज़ आती गाड़ी हो, नारे लगाती उत्तेजित भीड़ हो, किसी ज़हरीले जानवर के दर्शन हो या फिर कोई दहशत भरी खबर हो हमें डरा देती हैं। इनसे हमारी धड़कनें बढ़ने लगती हैं, पसीने छूटने लगते हैं, सांसे तेज़ चलने लगती हैं, हमारे हाथ […]

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चलती बंद होती साँसों की कीमत..

साँसों से निकलते संगीत, साँसों का गर्म स्पर्श शायद दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है। यह जीवन का शगुन है और इसकी अनुपस्थिति मृत्यु है। एक माँ रात में बहुत बुरा ख़्वाब देखकर जागती है और अपने बच्चे की साँसों को महससू करने के लिए उसकी उंगलियों को उसकी नाक के पास ले जाती है […]

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