टीचर्स_डे हम डॉक्टरों के लिए

हम डॉ के लिए तो सबसे बड़ा गुरू मरीज़ ही होता है, वही हमे बताता है कि कैसे बात करना है, कब हँसना है, कब चुप रहना है, कब केवल सुनना है, कब सांत्वना देना है…आदि

जब हम डॉक्टरी पढ़ते हैं तो सोचते हैं कि हम अपने रोगी को यह समझायेंगे वो समझायेंगे, ऐसे समझाएंगे वैसे समझाएंगे, उसे एक गुरु की तरह सेहत का पाठ पढ़ाएंगे… लेकिन जब हम प्रैक्टिस में उतरते हैं तो पाते हैं कि जिसे हम पढ़ाने आये थे वह तो असल में हमारा गुरू है…वह हमें रोज़ाना नये नये सबक सिखा कर जाता है… शायद इसी लिए डॉक्टर के काम को ‘प्रैक्टिस’ कहा जाता है, जो कि बिल्कुल सही है।

तो टीचर्स डे पर मेरे सभी मरीज़ों को शुभकामनाएं / बधाई / मुबारक़ बात…चाहे आपको पता हो या न हो आप मेरे गुरु हैं और मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है, सीख रहा हूँ और सीखता रहूंगा।

You may also like