चलती बंद होती साँसों की कीमत..

साँसों से निकलते संगीत, साँसों का गर्म स्पर्श शायद दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है। यह जीवन का शगुन है और इसकी अनुपस्थिति मृत्यु है। एक माँ रात में बहुत बुरा ख़्वाब देखकर जागती है और अपने बच्चे की साँसों को महससू करने के लिए उसकी उंगलियों को उसकी नाक के पास ले जाती है और जब उन उंगलियों पर उस बच्चे की सांस स्पर्श करती हैं तब जो अहसास उस मां को होता है वह शब्दों में बयान किया ही नहीं जा सकता। यही मैं कहना चाहता था कि साँसों से सुंदर कुछ भी नहीं। सांसें कीमती भी होती हैं और यह कई बार व्यर्थ भी हो जाती हैं। यह बात खुद के लिए और औरों के लिए भी समान रूप से लागू होती है। कई बार लोगों को अपनी ही सांसें बोझ लगने लगती हैं। वे जल्दी से उस बोझ को हटाना चाहते हैं, वे मर जाना चाहते हैं। कई बार सांसें बेहद ज़रूरी हो जाती हैं, जीना बहुत ज़रूरी हो जाता है खुद के लिए या औरों के लिए।

वह एक व्यस्त दोपहर थी। मैं सभी रोगी देख चुका था कि एक रोगी बिना अपॉइंटमेंट के आया। रिसेप्शन से मुझे बताया गया कि वह रोगी मिले बगैर जाने को तैयार ही नहीं है। मैंने कहा कि भेजदो उसे कैबिन में। वह रोगी अंदर आया अपने एक खूबसूरत परिवार के साथ। उसकी पत्नी और दो मासूम बेटियों उसके साथ थी। उसने अपनी रिपोर्ट दिखाई। मैं गौर से देख रहा था और मेरी नज़र उन पैमानों पर गई जो उसके ब्लड कैंसर की पुष्टि कर रहे थे। मैं थोड़ा चौंक कि एक खूबसूरत और हृष्ट पुष्ट युवा को यह कौन सी मुसीबत ने घेर लिया। उसने मुझे कहा कि “सर क्या मेरी ज़िंदगी बचाई नहीं जा सकती, मेरा जीना बहुत ज़रूरी है सर, यह तीनों मेरे ही भरोसे हैं, कोई नहीं है इनका। हमने लव मैरिज की थी और ना मेरे घर वाले और ना मेरी पत्नी के घरवाले हमारे साथ हैं। इनके लिए मेरी ज़िंदगी बचा लीजिए…मेरा जीना बहुत ज़रूरी है सर।” वह कंपकपी पैदा करने वाले शब्द थे, झुरझुरी ला देने वाले, रुला देने वाले…। मैंने उसे संभाला और फिर समझाया कि यह अब लाइलाज नहीं है, इलाज है इस रोग का मेरे प्यारे भाई।

फिर एक दिन मेरे पास एक और रोगी अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ आया। वह शराब के कारण अपना लिवर बर्बाद कर चुका था। बीवी और बच्चियों ने उसके कैबिन से जाने के बाद मुझे कहा कि यह मर जाए तो हमें सुकून मिले डॉक्टर। शराब ने हमारा घर परिवार सब बर्बाद कर दिया है। हमारा जीना मुश्किल कर दिया है इस शराबी आदमी ने।

दो परिवार और दोनों के घर के मुखिया की साँसों की कीमत अलग अलग। एक की सांसें बेहद अमूल्य थी और एक की सांसें गैरज़रूरी या बोझ। मृत्यु के महत्व का अलग ही मनोविज्ञान है। आप किसकी मृत्यु पर दुःखी होंगे और किसकी मृत्यु पर आपको कोई दुःख नहीं होगा यह आपका मन ही तय करता है। एक पिता को उसका बेटा अपशब्द कहकर चला जाए और वह जाकर एक्सीडेंट में मर जाए तो पिता को उसकी मृत्यु का दुःख कम होगा या नहीं होगा। यदि उसका बेटा उन अपशब्दों को कहने के पहले मर जाता तो पिता को पहाड़ों के बराबर दुःख होता।

हमसे किसी के सपने जुड़ें हो, हम पर कोई निर्भर हो तो उन्हें हमारी मृत्यु पर बहुत दुःख होगा। और किसी के सपने हमारे कारण पूरे नहीं हो रहे हैं तो वह हमारी मृत्यु का इंतजार करेगा कि हम कब मरे। किसी के सपनों को पूरा करने वाली सीढ़ी बनने पर आप उसके प्रिय बन जाते हैं और वह आपको मरने नहीं देगा, आपको बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। अपने जीवन को अमूल्य बनाइये, इससे लोगों का जीवन आसान बनाइये। बदले में आपको प्रेम मिलेगा, आपका जीवन अमूल्य बन जाएगा। प्रिय पाठकों आपकी सांसें कैसी हैं- कीमती या बेकार?

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