दोस्त तुम मेरी दवा भी हो
मेरा चिकित्सकीय अनुभव मुझे यही सिखाता है किः
‘‘सच्चा मित्र वह है जिसके होने पर आप डॉक्टर, दवाई और बीमारियाँ सब कुछ भूल जाते हैं।’’
हाँ, सच्चा मित्र एक चिकित्सक भी होता है, वह औषधि भी है और वह बीमारियों को चुटकी में नष्ट कर देने वाली प्रार्थना भी। मैंने अपने चिकित्सा कैरियर में यह बात बहुत अधिक बार महसूस की है कि सच्चे मित्र के न होने पर या सच्चे मित्र की मृत्यु के बाद या सच्चे मित्र का साथ छूट जाने पर लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत ही ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, तकरीबन इतना ही जितना कि कैंसर से।
भावनात्मक आदान-प्रदान के सकारात्मक पहलू का लाभ लें। उदाहरण के लिए अगर आप कंजूस हैं तो उदार लोगों के साथ रहें, ताकि उनके प्रभाव के कारण आपकी कंजूसी ख़त्म हो जाए। अगर आप निराशावादी हैं तो हँसमुख लोगों के आस-पास रहें। अगर आप एकाकी हैं, तो बहिर्मुखी लोगों से दोस्ती करें। कभी भी ऐसे लोगों से न जुड़ें, जिनमें आपके जैसे दोष हों- इससे सिर्फ़ आपके दोष ही मज़बूत होंगे। सिर्फ़ सकारात्मक गुणांे वाले लोगो के साथ जुड़ें। अगर आप जिंदगी में इस नियम पर चलेंगे, तो आपको दुनिया की किसी भी दवा से ज़्यादा फ़ायदा होगा।
जब मेरे पास अवसाद या भय से घिरे रोगी आते हैं तो मैं उन्हें सलाह देता हूँ कि आप अपने मित्रों के बीच ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताएँ। उनमें से अधिकांश का यह जवाब होता है कि, ‘‘हमारा ऐसा कोई मित्र ही नहीं है जो हमारा साथ दे।’’ तो मैं जवाब देता हूँ कि, ‘‘आप नये मित्र बनाएँ, नहीं तो दवाएंॅ आपकी मित्र बन जाएँगी।’’
आदिमानव ज़हर से बुझे तीरों से जानवरों का शिकार किया करते थे और हम आलोचना और कटुता से भरे शब्दों से अपने मित्रों को नष्ट करते चले जाते हैं। क्या यह मित्रों का नष्ट होना आपके हित में है? क्या आपका अकेला रह जाना आपके लिये फायदेमंद है? आदिमानव तो शिकार करके अपना पेट भर लेते थे, लेकिन आप मित्रों को नष्ट करके स्वयं में एकांत और क्रोध का ज़हर भर लेते हैं और यह ज़हर किसी और को नहीं आपको ही नष्ट करता है।
क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं जिसके पास सच्चे मित्रों का टोटा है? क्या कहा, जानते हैं? बहुत अच्छा, तो आप उसके मित्र बन जाइये, वह भी आपका सच्चा मित्र बनने के लिये सबसे उपयुक्त इंसान है। हाँ, लेकिन यह याद रखें उससे ऐसा व्यवहार कतई न करें जो वह दूसरों से करता है।